अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान,एम्स ऋषिकेश के ऑर्थाे विभाग के तत्वावधान में आयोजित लाइव सर्जरी कार्यशाला के दौरान प्रतिभागियों को स्पाईन सर्जरी को सुविधाजनक बनाने हेतु आईओएनएम प्रक्रिया अपनाने की बारीकियों से रूबरू कराया गया। सेमिनार में बताया गया कि इस प्रक्रिया से सर्जरी करते समय रीढ़ की हड्डी की चोटों का जोखिम कम हो जाता है और उपचार करना आसान रहता है।
संस्थान के निदेशक प्रोफेसर अरविंद राजवंशी के मार्गदर्शन में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, ऋषिकेश में ऑर्थाे विभाग की ओर से एक दिवसीय आईओएनएम लाइव सर्जिकल वर्कशॉप आयोजित की गई।
कार्यशाला में विशेषज्ञ चिकित्सकों ने इंट्रा ऑपरेटिव न्यूरोफिजियोलॉजिकल मॉनिटोरिंग प्रक्रिया के माध्यम से की जाने वाली स्पाइन और न्यूरो सर्जरी के लाभ बताए। इस अवसर पर अस्थि रोग विभागाध्यक्ष प्रोफेसर पंकज कंडवाल ने प्रतिभागियों को आईओएनएम के कॉन्सेप्ट से अवगत कराया और इस प्रक्रिया को अपनाने से होने वाले लाभ के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि स्पाइन की बीमारियों से संबंधित सर्जरी काफी जटिल होती है और इस दौरान कई बार मरीज के हाथ-पैर काम करना बंद कर देते हैं।
ऐसी स्थिति में सर्जरी करने का जोखिम ज्यादा रहता है। प्रोफेसर पंकज कंडवाल ने बताया कि आईओएनएम प्रक्रिया, सर्जरी की ऐसी प्रक्रिया है जिससे स्पाइन और न्यूरो सर्जरी करते समय जोखिम कम हो जाता है।
इससे पूर्व संस्थान की गायनी विभागाध्यक्ष व कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्रोे. जया चतुर्वेदी ने कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए कहा कि मरीजों के इलाज में इस प्रक्रिया को अपनाए जाने से न केवल मरीजों अपितु सर्जरी करने वाली चिकित्सकों की टीम को भी लाभ मिलेगा।
उन्होंने कहा कि यह कार्यशाला सर्जरी की नई तकनीक समझने में विशेष मददगार साबित होगी। कार्यशाला में मैक्स इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरो साइंसेस के निदेशक व कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ. ए.के. सिंह, एम्स दिल्ली के फिजियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर व व्याख्यान हेतु आमंत्रित अतिथि डॉ. अशोक जरियाल, संस्थान के फिजियोलॉजी विभाग के आचार्य व विशिष्ट अतिथि डॉ. प्रशांत पाटिल, ऑर्थाे विभाग के डॉ. सुधाकर आदि ने आईओएनएम पर व्याख्यान प्रस्तुत किए व सेमिनार में उपस्थित प्रतिभागियों को इस प्रक्रिया को अपनाने का कारण, इसके तौर-तरीके, इससे होने वाले लाभ, इस प्रक्रिया को अपनाते समय होेने वाली दिक्कतों आदि के बारे में बारीकी से समझाया।
कार्यशाला के दौरान इस प्रक्रिया से ऑपरेशन थियेटर में चल रही एक मरीज की सर्जरी का लाइव प्रसारण भी किया गया। यह मरीज कमर दर्द की स्पोंडाईलोलिस्थीसिस बीमारी से ग्रसित था जिसे सर्जरी के माध्यम से इन्स्टूमेंटेड स्टेबलाइजेशन किया गया। यह सर्जरी अस्थि रोग विभाग की स्पाइन टीम के द्वारा एनेस्थिसिया विभाग के डॉ. अजित एवं उनकी टीम की सहायता से सफलतापूर्वक संपन्न की गई।
डॉ. सुधाकर ने बताया कि आईओएनएम प्रक्रिया को अपनाते समय फिजियोलोजिस्ट, एनेस्थेटिक और न्यूरो सर्जन विशेषज्ञों की टीमें संयुक्तरूप से काम करती हैं। सेमिनार के दौरान चिकित्सा के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन के लिए विभिन्न विशेषज्ञ चिकित्सकों को सम्मानित भी किया गया।
कार्यशाला में डॉ. जितेन्द्र चतुर्वेदी ने इंट्रा ड्यूरल ट्यूमर के इलाज के दौरान आईओएनएम के उपयोग से संबंधित जानकारी दी। डॉ. भास्कर सरकार ने आईओएनएम सर्जरी के अनुभव से संबंधित विचार साझा किए।
कार्यशाला में डॉ. संजय अग्रवाल ने निश्चेतना विभाग की ओर से अपने विचार रखे। डॉ. पूर्वी कुलश्रेष्ठ ने फिजियोलॉजी विभाग से संबंधित आईओएनएम सर्जरी के सहयोग की भूमिका से अवगत कराया। इस मौके पर संस्थान के न्यूरो सर्जन डॉ. रजनीश अरोड़ा, डॉ. सुरभि, डॉ. स्वाति, डॉ. निखिल, डॉ. रिद्म आदि मौजूद रहे।