अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश के प्लास्टिक चिकित्सा विभाग के तत्वावधान में हाईपर बैरिक ऑक्सीजन ट्रेनिंग कार्यशाला विधिवत शुरू हो गई।
छह दिवसीय कार्यशाला में देश के विभिन्न प्रांतों के चिकित्सक मरीजों के घाव को हाईपर बैरिक ऑक्सीजन थैरेपी द्वारा ठीक करने का प्रशिक्षण लेंगे।
संस्थान के प्लास्टिक चिकित्सा विभाग में एस.आई.आर. बी. के सहयोग से आयोजित छह दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन एम्स निदेशक प्रोफेसर डा. मीनू सिंह ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
इस दौरान निदेशक एम्स प्रो. मीनू सिंह ने प्रतिभागियों को हाईपर बैरिक ऑक्सीजन थैरेपी की प्रक्रिया के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
संस्थान के डीन एकेडमिक प्रोफेसर मनोज गुप्ता ने अस्पताल के प्लास्टिक चिकित्सा विभाग में उपलब्ध चिकित्सा से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां दी।
उन्होंने बताया कि दुर्घटना में घायल, आग में झुलसे आदि तरह के मरीजों को एम्स में यह चिकित्सा उपलब्ध कराई जा रही है।
प्लास्टिक चिकित्सा विभागाध्यक्ष डा. विशाल मागो ने बताया कि संस्थान में 2020 से लेकर अभी तक हाईपर बैरिक ऑक्सीजन थैरेपी द्वारा 152 मरीजों को ठीक किया जा चुका है।
उन्होंने बताया कि यह थैरेपी एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा किसी भी तरह के घाव को अतिशीघ्र भरा जा सकता है।
इस दौरान उन्होंने प्रतिभागियों को इस थैरेपी के बारे में बताया एवं कार्यशाला में आगे की प्रक्रिया को समझाया। कार्यशाला में मरीजों के घावों को भरने के लिए इस पद्घति से होने वाले लाभ की भी जानकारी दी जाएगी।
प्लास्टिक सर्जरी विभागाध्यक्ष डा. मागो ने बताया कि किसी भी दुर्घटना की स्थिति में यदि घायल व्यक्ति को उचित समय पर अस्पताल पहुंचाया जाता है तो उसके किसी भी अंग को प्लास्टिक चिकित्सा द्वारा बचाया जा सकता है।
एम्स दिल्ली के प्लास्टिक चिकित्सा विभागाध्यक्ष प्रो. मनीष सिंघल के द्वारा इस थैरेपी से जुड़ी विभिन्न महत्वपूर्ण जानकारियां दी गई।
कार्यक्रम में अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर संजीव कुमार मित्तल, डा. बलरामजी ओमर, डा. अंकित अग्रवाल, प्लास्टिक चिकित्सा विभाग की डा. देवरती चटोपाध्याय,डा. मधुवरी वाथुल्या, डा. अक्षय कपूर, डा. नीरज, सीनियर एवं जूनियर रेसिडेंट चिकित्सकों के अलावा नर्सिंग स्टाफ व एमबीबीएस के विद्यार्थी मौजूद थे।