यूथ 20 कंसल्टेंसी के अंतर्गत अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर एम्स ऋषिकेश के प्रसूति एवं स्त्री रोग और नर्सिंग कॉलेज विभाग ने सोमवार को “महिला स्वास्थ्य जागरुकता रैली एवं नुक्कड़ नाटक” का आयोजन के माध्यम से विज्ञान में महिलाओं के योगदान का जश्न मनाया। संस्थान की कार्यकारी निदेशक एवं सीईओ प्रोफेसर (डॉ.) मीनू सिंह ने जनजागरुकता रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इसके बाद संकायाध्यक्ष व स्त्री रोग विभागाध्यक्ष प्रोफेसर (डॉ.) जया चतुर्वेदी की अगुवाई में त्रिवेणी घाट पर कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें संस्थान के चिकित्सकों नर्सिंग अधिकारियों की टीम ने बढ़चढ़कर प्रतिभाग किया। इस अवसर पर संस्थान की कार्यकारी निदेशक
प्रोफेसर (डॉ.) मीनू सिंह ने इस वर्ष की थीम लैंगिक समानता विषय पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि लैंगिक समानता और सभी महिलाओं और लड़कियों के सशक्तिकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हर वर्ष ( 8 मार्च) को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। उन्होंने बताया कि महिलाएं देश की प्रगति की कुंजी हैं। लिहाजा उन्हें हर क्षेत्र में बढ़ावा देना होगा तभी हम प्रगति के लक्ष्य को साध सकते हैं। उन्होंने कहा कि हर क्षेत्र में महिलाओं की उपलब्धियों और योगदान का जश्न मनाया जाना चाहिए। डीन एकेडमिक
प्रोफेसर डॉ. जया चतुर्वेदी ने कहा कि महिलाओं के नेतृत्व और सामुहिक कार्रवाई में लैंगिक समानता और सशक्तिकरण की दिशा में प्रगति करने की शक्ति है।
एम्स ऋषिकेश कॉलेज ऑफ नर्सिंग की प्रिंसिपल प्रोफेसर डॉ. स्मृति अरोड़ा ने महिलाओं और लड़कियों को नेता, उद्यमी और सामाजिक परिवर्तन की सूत्रधार बनने के लिए प्रेरित किया। इस दौरान संकाय सदस्यों, रेजिडेंट डॉक्टरों और नर्सिंग छात्रों ने त्रिवेणी घाट पर बैनर और तख्तियों के माध्यम से महिलाओं और युवा लड़कियों को प्रजनन स्वास्थ्य, एनीमिया, मधुमेह और गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप, परिवार नियोजन के बारे में जागरूक किया और संबंधित जानकारियों से अवगत कराया। कॉलेज ऑफ नर्सिंग की सहायक प्रोफेसर रुचिका के कुशल मार्गदर्शन में नर्सिंग छात्रों ने नुक्कड़ नाटक का प्रदर्शन किया और मौखिक, स्तन और गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर की प्रारंभिक जांच की विस्तृत जानकारी दी। कार्यक्रम में कार्यक्रम समन्वयक एवं गाइनी ओंकोलॉजी विभाग की सर्जन प्रोफेसर शालिनी राजाराम ने महिलाओं में पाए जाने वाले कैंसर के क्षेत्र में अपने व्यापक अनुभव को साझा किया। उन्होंने बताया कि 9 से 14 आयुवर्ग की किशोरियों के लिए सर्वाइकल कैंसर की प्राथमिक रोकथाम के लिए एचपीवी टीकाकरण आवश्यक है। उन्होंने इसको लेकर वृहद सामाजिक जागरण की जरूरत बताई। स्त्री विभाग की प्रोफेसर डॉ.
अनुपमा बहादुर ने बताया कि 9 से 14 वर्ष की आयु की किशोरियों के लिए एक टीके के माध्यम से सर्वाइकल कैंसर की प्राथमिक रोकथाम संभव है। उन्होंने इस बाबत महिलाओं से जागरूक रहने और सामाजिक में योगदान देने का आह्वान किया। उन्होंने महिलाओं को स्क्रीनिंग कार्यक्रमों से गुजरने की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि कैंसर गर्भाशय ग्रीवा का समय पर पता लगाया जा सके और इसका प्रारंभिक चरण में इलाज किया जा सके। इस अवसर पर गाइनी विभाग की डॉ. कविता खोईवाल, डॉ. राजलक्ष्मी मूंदड़ा, डॉ. अमृता गौरव, डॉ लतिका चावला, डॉ. ओम कुमारी, डॉ.पंकज शर्मा, डॉ. नीति गुप्ता आदि मौजूद रहे।