उत्तरकाशी। गंगोत्री नेशनल पार्क दुर्लभ वन्यजीव प्रजातियों का घर है।
इन दिनों गंगोत्री नेेेशनल पार्क के अंतर्गत दुर्लभ भरल की चहलकदमी देखने को मिल रही है।
भरल की चहलकदमी गंगोत्री धाम और आसपास के क्षेत्र में दिखने से पार्क प्रशासन उत्साहित नजर आ रहा है। क्योंकि भरल का उच्च हिमालयी क्षेत्र के पारिस्थितिक तंत्र का मुख्य कारक है। यह कहना अपवाद नहीं होगा कि अगर भरल न हो,तो उच्च हिमालयी क्षेत्रों का पारिस्थितिकी तंत्र ध्वस्त हो जाएगा।
गंगोत्री नेशनल पार्क के कनखू बैरियर इंचार्ज राजवीर सिंह रावत ने अमर उजाला केे बताया कि पिछले कुछ दिनों से गंगोत्री धाम के ऊपरी इलाकों और कनखू बैरियर के आसपास भरल की चहलकदमी नजर आ रही है। यह भरल झुंड में पानी और भोजन की तलाश में नीचले इलाकों में आ रहे हैं क्योंकि उच्च हिमालयी क्षेत्रों में अभी भी बर्फ पूरी तरह पिघली नहीं है।
मार्च और अप्रैल माह में ऊपरी गोमुख,तपोवन और उससे ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी हुई है।
इस कारण भरल के झुंडो को भोजन की तलाश में कनखू बैरियर के आसपास आना पड़ रहा है।
गंगोत्री नेशनल पार्क के गेट एक अप्रैल को खुल चुके हैं। पर्यटक और ट्रैकर्स गोमुख ट्रैक पर जा रहे हैं।
जहां पर पर्यटकों के लिए भरल की चहलकदमी देखना एक अलग अनुभव होगा। गंगोत्री नेशनल पार्क के रेंज अधिकारी प्रताप सिंह पंवार का कहना है कि जिस प्रकार से पार्क के अंतर्गत भरल अच्छी संख्या में दिख रहे हैं।
यह उच्च हिमालयी क्षेत्र के पारिस्थतिक तंत्र के लिए सकारात्मक लक्षण हैं।