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एम्स ऋषिकेश के मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग और नेटवर्क ऑफ ऑन्कोलॉजी क्लीनिकल ट्रायल इन इंडिया (एनओसीआई) के सयुंक्त तत्वावधान में बाल कैंसर विषय पर जन-जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन।

एम्स ऋषिकेश के मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग और नेटवर्क ऑफ ऑन्कोलॉजी क्लीनिकल ट्रायल इन इंडिया (एनओसीआई) के सयुंक्त तत्वावधान में बाल कैंसर विषय पर जन-जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। बताया गया कि बाल कैंसर के प्रारम्भिक लक्षणों के प्रति जागरूक रहकर इससे बचा जा सकता है।

अस्पताल के ओपीडी एरिया में आयोजित कार्यक्रम के दौरान कैंसर के लक्षणों के प्रति तीमारदारों और रोगियों को व्यापक जानकारी दी गयी। मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के सह आचार्य डॉ. अमित सहरावत ने बाल कैंसर के महत्व, इसके लक्षण और समय पर निदान के महत्व पर प्रकाश डाला।
वहीं उन्होंने बताया कि कैंसर के प्रारंभिक लक्षणों को पहचानने और समय रहते उपचार करने से हम बच्चों का इन बीमारियों से बचाव कर सकते हैं।
डॉ. अमित सहरावत ने बताया की सितंबर का महीना गोल्ड सितंबर के रूप में जाना जाता है। यह बच्चों में होने वाले कैंसर के प्रति जागरूकता प्रसारित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।
बच्चों के कैंसर के प्रकार, लक्षण और इसके उपचार की प्रक्रिया को समझना न केवल चिकित्सकों के लिए, बल्कि समाज के हर वर्ग के लिए भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि बचपन में होने वाला कैंसर एक गंभीर चुनौती है। बताया कि पारिवारिक इतिहास और कुछ आनुवंशिक कारणों से कैंसर की संभावना बढ़ जाती है।

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कैंसर चिकित्सा विभाग के सह आचार्य डॉ दीपक सुन्द्रियाल ने कहा की बच्चों में कैंसर के शुरुआती लक्षण पहचानने में माता-पिता और देखभाल कर्ताओं की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। नियमित रूप से बच्चों के स्वास्थ्य पर ध्यान देना जरूरी है।
इसके साथ ही किसी भी प्रकार का असामान्य बदलाव नजर आने पर चिकित्सक को दिखाना बहुत जरूरी है।
उन्होंने कहा कि यदि बच्चे का बार-बार थकान महसूस करना, सिरदर्द, जी मितलाना और उसकी भूख में कमी होना कैंसर के संकेत हो सकते हैं। इसके अलावा, शरीर पर गांठ, आंखों में चमक, या किसी अन्य असामान्यता का पता चलने पर तुरंत विशेषज्ञ की सलाह लेना महत्वपूर्ण है।

कार्यक्रम के दौरान कहा गया कि बाल कैंसर की पहचान और जागरूकता बढ़ाने के लिए यह आवश्यक है कि प्रत्येक माता-पिता अपने बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति शिक्षकों, और स्वास्थ्य कर्मियों के तौर पर सतर्क रहें।
समय पर निदान और त्वरित कार्रवाई से बच्चों के जीवन को बचाया जा सकता है और उनका स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित किया जा सकता है।
इस मौके पर डॉ मृदुल खन्ना, डॉ निशांत, डॉ कार्तिक, डॉ अनुषा, एनओसीआई से रजत गुप्ता, कुमुद बडोनी, आरती राणा, अंकित तिवारी, अनुराग पाल, गणेश पेटवाल सहित कई अन्य मौजूद रहे।

इंसेट-
बाल अवस्था में बच्चों में रक्त कैंसर, ब्रेन ट्यूमर, लिम्फोमा, सॉफ्ट टिश्यू सारकोमा, न्यूरोब्लास्टोमा, किडनी ट्यूमर, हड्डियों के ट्यूमर, आँख का कैंसर, जर्म सेल ट्यूमर और लिवर ट्यूमर आदि प्रमुख हैं। इनमें से ल्यूकेमिया (रक्त कैंसर) और ब्रेन ट्यूमर सबसे ज्यादा पाए जाते हैं।

संकेत और लक्षण
बच्चों में कैंसर के कुछ सामान्य लक्षणों में गर्दन, बगल या कमर में गांठ, अचानक वजन घटना, रात में पसीना आना, आंखों में सफेद चमक, लाल धब्बे या आँखों का पीलापन, सिरदर्द, थकान, भूख में कमी, हड्डियों और जोड़ों में दर्द और बार-बार संक्रमण होना प्रमुख है।

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