रिपोर्ट:- गोविन्द रावत
गर्मी में बच्चे का रखें खास ख्याल,वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ
डाः उमाशंकर सिंह रावत ने दी टिप्स
सल्ट : इस साल गर्मी ने सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं। अप्रैल में ही मई-जून की तरह तपन हो रही है। ऐसे में नाजुक बच्चों का ध्यान रखना बहुत जरूरी हो जाता है। उन्हें कई तरह की बीमारियां घेर लेती हैं। उनका थोड़ा ख्याल रखा जाए तो बच्चे के साथ हम भी परेशानी से बच सकते हैं।
वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डाः उमाशंकर सिंह रावत ने ऐसे ही कुछ आसान से टिप्स बताएं हैं, जिनका पालन कर माता-पिता बच्चे को गर्मी व इस मौसम की बीमारियों से बचा सकते हैं।
डाः रावत बताते हैं कि गर्मी में बच्चों में खासकर छोटे बच्चों में पानी से होने वाली संक्रामक बीमारियों का आंकड़ा बढ़ जाता है। इनमें से तीन प्रमुख बीमारियां हैं जिनके मरीज अस्पताल में सर्वाधिक आते हैं।
1- डायरिया : इसमें बच्चे को उल्टी-दस्त होती है। इससे शरीर में पानी की कमी हो जाती है। यदि पर्याप्त मात्रा में पानी की पूर्ति न हो तो हालत डिहाइड्रेशन की गंभीर समस्या हो जाती है।
ऐसे में बच्चों को ओआरएस का घोल, जिंक व पतला हल्का खाना देना चाहिए। इसके बाद भी यदि बच्चा सुस्त हो या पेशाब न करे तो तुरंत डाक्टर को दिखाना चाहिए।
2- टायफाइड : इस बीमारी में बच्चे को दस्त के साथ बुखार भी आता है। पहले हल्का बुखार रहता है फिर धीरे-धीरे बढ़ता जाता है। इसमें डॉक्टर के निर्देशन में लिक्विड पैरासीटामॉल व एंटीबायोटिक चला सकते हैं। पर अपने डाक्टर की देखरेख में ही, कोई दवा खुद से न चलाएं।
इसके बाद भी यदि एक-दो दिन में बच्चे का बुखार नहीं जाता तो डाक्टर को दिखाने मे लेट न करें।
3- पीलिया या हेपेटाइटिस : यह तीसरी जलजनित प्रमुख रोग है। यह भी दूषित पानी के पीने या किसी अन्य रूप में लेने से ही फैलता है। इन तीनों बीमारियों से बचने के लिए साफ पानी पिलाएं।
सन या हीट स्ट्रोक : डाः उमाशंकर सिंह रावत बताते हैं कि ऊपर की तीन बीमारियों के अलावा सन या हीट स्ट्रोक की समस्या गर्मी में बढ़ जाती है। यह सीधे धूप में आने या अधिक समय धूप में रहने से होता है।
सन-हीट स्ट्रोक में सिर दर्द, चक्कर आना, बैचेनी व घबराहट की समस्या हो सकती है। इसमें बच्चे को पानी के साथ इलेक्ट्रोलाइट अर्थात ओआरएस, नींबू पानी, शिकंजी दिया जा सकता है। इससे शरीर में पानी व इलेक्ट्रोलाइट की मात्रा संतुलित हो जाती है। साथ ही हल्का व पतला भोजन दें। सर्दी-खांसी व गले की समस्या उत्पन्न हो जाती हैं।
गर्मी के दिनों में बच्चे स्कूल या बाहर से आने के बाद तुरंत फ्रिज से ठंडा पानी या कोल्ड ड्रिंक लेकर पी लेते हैं। ऐसे में उसे गले में समस्या, सर्दी-खांसी व बुखार आ सकता है।
गर्मी से आने के बाद तुरंत ठंडा पानी न पिएं। नार्मल पानी या नींबू पानी लें।
एलर्जी व बाल दमा
जिन बच्चों को पहले से एलर्जी या बाल दमा की शिकायत है। वे माता-पिता गर्मी में बच्चे का खास ख्याल रखें। बच्चे को खांसी, छाती में घरघराहट या बुखार हो तो बिना देर किए डॉक्टर को दिखाएं। वहीं जो बच्चे इन्हीलर ले रहे हों वह इसे बिना नागा किए लेते रहें। कोई समस्या हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
बीमारी से बचाएं अपने लाडले को
अपने बच्चे को साफ, फिल्टर या उबला हुआ पानी पिलाना सुनिश्चित करें।
– बच्चा बाहर खाना खाए, बाहर का पानी या कच्चा खाना सलाद, चटनी कटे फल का प्रयोग न करने दें। इसमें साफ-सफाई हो तो ही खाने दें।
– कभी भी कुछ भी खाते समय उसके हाथ ठीक तरह से साफ होने चाहिए।
– बाहर की कोई भी ऐसी चीजें जो पकी न हो उससे भी बचें। इससे पेट के संक्रमण की आशंका बनी रहती है।
– आजकल गर्मी में गन्ने व फलों का जूस, रायता व शरबत का खूब उपयोग होता है।
बाहर गंदगी में इनके प्रयोग से बचें, यदि उपयोग कर ही रहे हों तो सफाई का विशेष ध्यान रखें। इनके बनाने में साफ पानी का उपयोग हुआ हो यह भी ध्यान रखें।