Khabar Ganga Kinare Ki
Breaking Newsआकस्मिक समाचारउत्तराखंडदिन की कहानीदेहरादूनराजनीतिकराष्ट्रीयविशेष कवरस्टोरी

ब्रेकिंग:- मनरेगा योजना के जॉब कार्ड धारकों को आधार आधारित मजदूरी भुगतान के लिए सरकार ने पांचवीं बार बढ़ाई है इसकी समय सीमा।

(मनरेगा) योजना के अन्तर्गत कई जॉब कार्ड धारक अभी भी ऐसे है जो अभी भी आधार आधारित मजदूरी भुगतान के लिए तैयार नही है।

वहीं आअब सरकार ने बढ़ाई इसकी समय सीमा। जाने नई समय सीमा।

नई दिल्ली:- मनरेगा यानी कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम योजना के मीडिया रिपोर्ट से मिल रही जानकारी के अनुसार अभी भी लगभग 41% जॉब कार्ड धारक, आधार-आधारित मजदूरी भुगतान यानी कि एबीपीएस के लिए तैयार नही है ऐसे में केंद्र सरकार ने अब इसकी समय सीमा बढ़ा दी है।

आपकी जानकारी के लिए बताते चलें कि केंद्र सरकार ने इस तरह के भुगतान सभी के लिए अनिवार्य करने की समय सीमा को साल 2023 के अंत यानी ली 32 दिसंबर तक बढ़ा दी है।

वही यह समय सीमा विस्तार अब तक की समय सीमा का पांचवां विस्तार है।

ग्रामीण विकास मंत्रालय ने आधार-आधारित भुगतान प्रणाली (एबीपीएस) की प्रगति की समीक्षा 30 अगस्त तक करने के बाद बयान जारी कर कहा है कि कुल 14.33 करोड़ सक्रिय श्रमिक है जिनमे से 13.34 करोड़ के लिए आधार को जोड़ा और प्रमाणित किया गया है।

अभी तक केवल एक करोड़ से अधिक यानी 18.11 % को छोड़ दिया गया है।

इसका मतलब साफ है कि 81.89% सक्रिय लोग है – जिन्होंने पिछले तीन वित्तीय वर्षों में कम से कम मनरेगा में एक दिन काम किया है।
वे सभी अब एबीपीएस के लिए पात्र हैं।

इस मामले में बताया जा रहा है कि जुलाई 2023 में लगभग 88.51% वेतन भुगतान एबीपीएस के माध्यम से किया गया था ऐसा आंकड़ा बताया गया है।

हालाँकि स्थिति को देखते हुए बताया गया है कि विस्तार आवश्यक था क्योंकि इस योजना के तहत कुल 26 करोड़ जॉब कार्ड धारक है जिनमे से अभी भी 41.1% इस मोड के लिए पात्र नहीं हो पाए हैं।

वही इस योजना को भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने का हथियार बताया जा रहा है।
वही बताया जा रहा है कि एबीपीएस किसी भी कर्मचारी के 12-अंकीय आधार नंबर को उनके वित्तीय पते के रूप में उपयोग में लाता है।

एबीपीएस के लिए, एक श्रमिक का आधार कार्ड की जानकारी उसके उसके जॉब कार्ड और उसके बैंक खाते से जुड़ा होना चाहिए।

ऐसे में किसी श्रमिक का आधार नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) डेटाबेस के साथ मैप किया जाना चाहिए।

यही जानकारी अंत में, बैंक की संस्थागत पहचान संख्या (आईआईएन) को एनपीसीआई डेटाबेस के साथ मैप किया जाना आवश्यक होता है।

वही रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार ने एक बार फिर यह तर्क देकर कहा है कि लाभार्थी बैंक खातों में किसी भी बदलाव के कारण वेतन भुगतान लेनदेन को अस्वीकार करने से बचने के लिए एबीपीएस सबसे अच्छा एक माध्यम है।

वही इस मामले में यह भी कहा जा रहा है कि यह “फर्जी लाभार्थियों को हटाकर भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने का एक सबसे बेहतरीन साधन है।

वही इस मामले में मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि किसी भी श्रमिक को आधार नंबर न होने के आधार पर काम से वंचित नहीं किया जाएगा.

वही यदि कोई भी लाभार्थी काम की मांग नहीं करता है या कर पाता है, तो ऐसे हालातो में भी एबीपीएस के लिए पात्रता के बारे में उसकी स्थिति काम की मांग को प्रभावित नहीं करती है यह ध्यान देने योग्य जरूरी बात है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार साझा किए गए बयान में बताया जा रहा है कि किसी भी जॉब कार्ड को इस आधार पर नहीं हटाया जा सकेगा कि वह कार्यकर्ता एबीपीएस के लिए पात्र नहीं है।

Related posts

यहां प्रशिक्षु राजस्व उप निरीक्षकों को दिया 1 सप्ताह का प्रशिक्षण।

khabargangakinareki

छोटे छोटे बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम कर शिक्षक दिवस के अवसर पर खूब वाही वही लूटी।

khabargangakinareki

Uttarakhand के पर्यटक स्थल New Year 2024 के जश्न के लिए तैयार; पर्यटकों की आमद बढ़ने की उम्मीद, प्रशासन ने बरती सावधानियां

khabargangakinareki

Leave a Comment