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ऋषिकेश में संस्थान की कार्यकारी निदेशक एवं सीईओ प्रोफेसर (डॉक्टर) मीनू सिंह की देखरेख में आयोजित कार्डियोडायबिटिक सोसाइटी का दो दिवसीय सम्मेलन शनिवार को विधिवत हो गया संपन्न।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), ऋषिकेश में संस्थान की कार्यकारी निदेशक एवं सीईओ प्रोफेसर (डॉक्टर) मीनू सिंह की देखरेख में आयोजित कार्डियोडायबिटिक सोसाइटी का दो दिवसीय सम्मेलन शनिवार को विधिवत संपन्न हो गया।

सम्मेलन में देशभर के विभिन्न क्षेत्रों से आए प्रमुख चिकित्सकों और विशेषज्ञों ने भाग लिया और विभिन्न कार्डियो-डायबिटिक रोगों के उपचार, निदान और प्रबंधन पर महत्वपूर्ण चर्चा की।
शनिवार को सम्मेलन के दूसरे दिन का उद्घाटन मुख्य अतिथि डॉ. प्रशांत पी. जोशी (एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर एवं सीईओ, एम्स नागपुर) के द्वारा किया गया।

इस अवसर पर डॉ. जोशी ने अपने व्याख्यान में स्वस्थ जीवनशैली के महत्व को रेखांकित किया।
साथ ही दिल की विफलता (हार्ट फेलियर) के कारणों और प्रबंधन पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि स्वस्थ आहार, धूम्रपान से बचाव, तम्बाकू और शराब के सेवन से दूर रहना जीवन को स्वस्थ रखने के महत्वपूर्ण पहलु है।
उनके अनुसार दिल की विफलता एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, जिसे समय रहते पहचानकर प्रभावी उपचार द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है।
सम्मेलन में डॉ. संजय शाह, अध्यक्ष, (यू. के. आर.एस.एस.डी.आई.) ने भी विचार साझा किए और डायबिटीज और हृदय रोगों के बीच के संबंध पर प्रकाश डाला। उन्होंने डायबिटीजौ के उपचार में नवीनतम तकनीकों और शोध को लेकर विचार प्रस्तुत किए।
सम्मेलन में आयोजन समिति के अध्यक्ष और एम्स मेडिसिन विभाग के प्रमुख, प्रोफेसर (डॉ.) रविकांत ने दूसरी पीढ़ी के बेसल इंसुलिन और डायबिटिक रोगियों में हृदय संबंधी विकारों पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने बताया कि किस प्रकार नए बेसल इंसुलिन का उपयोग मधुमेह के मरीजों को बेहतर उपचार देने में सहायक हो सकता है, साथ ही बताया कि हृदय रोगों के इलाज में इनका प्रभाव भी महत्वपूर्ण है।

इस अवसर पर सीटीवीएस विभाग की वरिष्ठ शल्य चिकित्सक डॉ. नम्रता गौर ने महिलाओं में दिल की विफलता के विशेष कारणों और उनके उपचार पर अहम व्याख्यान दिया, जबकि बर्न एवं प्लास्टिक सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. विशाल मागो ने “क्रॉनिक नॉन-हीलिंग डायबिटिक फुट अल्सर” के बारे में विस्तार से बताया।
वहीं उन्होंने इसके निदान और उपचार में आने वाली चुनौतियों पर चर्चा की।
इसके अतिरिक्त सम्मेलन में डॉ. श्रुति बर्णवाल (जी.एम.सी. देहरादून) ने “डायबिटीज मेलिटस से संबंधित त्वचीय रोग, डॉ. अनिरुद्ध मुखर्जी (एम्स, रायबरेली) और डॉ. रोहित रैना (एम्स बठिंडा) ने “डायबिटिक डिस्लिपिडेमिया” के उपचार में सुधार की दिशा में व्याख्यान दिया।
डॉ. अजीत भदोरिया ने मेटाबॉलिक एसोसिएटेड फैटी लीवर डिजीज पर प्रिवेंटिव हेपेटोलॉजी विषय पर महत्वपूर्ण जानकारी दी, वहीं देहरादून के चिकित्सक डॉ. अनिल मेहरा ने डायबिटीज के त्वचीय लक्षणों के बारे में जानकारी दी, जिससे चिकित्सकों को इस रोग के विविध प्रकारों को पहचानने में सहायता मिल सके।
एक अन्य विशेष सत्र में डॉ. कार्तिकेय भार्गव (कंसल्टेंट कार्डियोलॉजिस्ट, मेदान्ता, गुरुग्राम) ने ई.सी.जी. वर्कशॉप का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने कार्डियोलॉजी में ई.सी.जी. की महत्वपूर्ण तकनीकों और उनके उपयोग पर व्याख्यान दिया।

सम्मेलन के समापन समारोह में डॉ. प्रशांत पी. जोशी(एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर और सीईओ, एम्स नागपुर), डॉ. संजय शाह अध्यक्ष, (यू. के. आर.एस.एस.डी.आई.), डॉ. संजीव कुमार मित्तल (मेडिकल सुपरिटेंडेंट, एम्स ऋषिकेश), डॉ. रविकांत (आयोजन अध्यक्ष), डॉ. वी.एस. पाई (आयोजन समिति के सह-अध्यक्ष) और डॉ. मुकेश बैरवा (आयोजन सचिव) ने पेपर प्रेजेंटेशन प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किए। इस दौरान विजेताओं को उनके उत्कृष्ट शोध और प्रस्तुतियों के लिए सम्मानित किया गया।
सम्मेलन के आयोजन सचिव डॉ. मुकेश बैरवा ने सभी प्रतिभागियों, वक्ताओं और सहयोगियों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए देशभर से आए मेडिकल फैकल्टी और पोस्टग्रेजुएट्स का धन्यवाद ज्ञापित किया।
सम्मेलन के दौरान चिकित्सकों को कार्डियोडायबिटिक रोगों के नवीनतम उपचार और शोध के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी गई व कहा गया कि यह सम्मेलन इस क्षेत्र में चिकित्सा वैज्ञानिकों और चिकित्सकों के बीच संवाद और सहयोग को बढ़ावा देने में कारगर साबित होगा।

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