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प्राचीन श्रीराम तपस्थली आश्रम ब्रह्मपुरी में आध्यात्मिक शांति के लिए विश्व विख्यात सिंगर सोनू निगम ने की मौन साधना।

*ऋषिकेश : ब्रह्मपुरी स्थित श्रीराम तपस्थली आश्रम में आध्यात्मिक शांति प्राप्त करने के लिए पहुंचे विश्व विख्यात गायक सोनू निगम, की मौन साधना*

*ब्रह्मपुरी स्थित श्रीराम तपस्थली आश्रम में आध्यात्मिक शांति प्राप्त करने के लिए पहुंचे विश्व विख्यात गायक सोनू निगम*

*जगतगुरु द्वाराचार्य स्वामी दयाराम दास महाराज का भी आशीर्वाद प्राप्त किया*

*भगवान श्री राम की राम गुफा सनकादिक गुफा एवं हनुमान शिला के दिव्य दर्शन उन्होंने किये*

*श्रीराम तपस्थली जहां प्रभु राम ने 12 साल मौन तपस्या की वहां की रज का आशीर्वाद प्राप्त किया*

ऋषिकेश :प्राचीन श्रीराम तपस्थली आश्रम ब्रह्मपुरी में आध्यात्मिक शांति के लिए विश्व विख्यात सिंगर सोनू निगम ने की मौन साधना।
शनिवार को श्रीराम तपस्थली आश्रम ब्रह्मपुरी में आध्यात्मिक शांति एवं मौन साधना के लिए विश्व विख्यात गायक सोनू निगम पहुंचे. इस अवसर पर उन्होंने संतों के दर्शन किये. उन्होंने वैष्णव संतों का लिया आशीर्वाद. इस दौरान उन्होंने आनंद घाट पर बैठकर मौन साधना की. मां गंगा किनारे मौन साधना कर उन्हें अपार ख़ुशी प्राप्त हुई. जिसका उन्होंने संतों के साथ बातचीत में जिक्र किया।
ऋषिकेश स्थित तुलसी मानस मंदिर के महंत रवि प्रपन्नाचार्य महाराज ने बताया कि अपने व्यक्तिगत कार्यक्रम में पहुंचकर सोनू निगम ने मुंबई से आकर श्री राम तपस्थली आश्रम में पहुंचकर शांतिपूर्वक मां गंगा की पूजा अर्चना कर मौन साधना की. इस अवसर पर भगवान श्री राम की राम गुफा सनकादिक गुफा एवं हनुमान शिला के दिव्य दर्शन उन्होंने किये. श्रीराम तपस्थली जहां प्रभु राम ने 12 साल मौन तपस्या की वहां की रज का आशीर्वाद प्राप्त किया.

सोनू निगम ने बताया, आज मेरा जीवन धन्य हो गया मुझे मां गंगा ने बुलाया और मेरे पूर्व जन्म के संस्कार मुझे श्रीराम तपस्थली आश्रम में पहुंचकर संतो के दिव्य दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त हुआ. इस दौरान उन्होंने जगतगुरु द्वाराचार्य स्वामी दयाराम दास महाराज का भी आशीर्वाद प्राप्त किया।

सभी संतों ने मिलकर महामंडलेश्वर महावीर दास, तुलसी मानस मंदिर के महंत रवि प्रपन्नाचार्य महाराज ने सोनू निगम को पुष्पहार उत्तरीय, तुलसी की माला, गोमुख का पवित्र जल भेंट कर उनकी दीर्घायु एवं पूरे विश्व में संगीत के माध्यम से भारत का नाम रोशन करने का आशीर्वाद दिया. वे सनातन संस्कृति को पूरे विश्व में अपने गायन के द्वारा आगे बढ़ाएं यही संतों ने उन्हें आशीर्वाद दिया।
वही साधना के बाद उन्होंने भगवान का प्रसाद भोजन भी किया. उन्होंने कहा कि राम तपस्थली मेरा परिवार है. मैं संतों का दास हूं. मैं जब भी हृषिकेश आऊंगा.श्रीराम तपस्थली आश्रम एवं भारत मंदिर जो पांचवी ई. का है. दर्शन करने जरूर आऊंगा. उसके बाद वे मुंबई के लिए रवाना हो गए।

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