उत्तरकाशी जनपद के डुंडा ब्लॉक स्थित अस्तल गांव में धनारी और बरसाली क्षेत्र के आराध्य कचड़ू देवता का वार्षिक मेला पारंपरिक श्रद्धा व धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है।
मेले की शुरुआत गंगा स्नान से हुई, जहां देव डोली के साथ बड़ी संख्या में ग्रामीण गंगा घाट पहुंचे।
पवित्र स्नान के पश्चात डोली को गांव के प्राचीन मंदिर में स्थापित कर विशेष पूजा-अर्चना की गई। गाँव की लड़किया जो विवाह होने के उपरांत संतान प्राप्त न होने पर, अराध्य देवता के शरण पर आते है, उसके बाद संतान प्राप्ति होती है ऐसे मान्यता है।
धनारी पट्टी के विभिन्न गांवों से आए श्रद्धालुओं ने कचड़ू देवता की डोली के साथ पारंपरिक रासो-तांदी नृत्य किया और क्षेत्र में सुख-शांति व समृद्धि की कामना की।
इस अवसर पर ब्याही बेटियों और ग्रामीणों ने श्रद्धा भाव से श्रीफल, वस्त्र व अन्य भेंटें अर्पित कीं।
मेले के दौरान देवता के पश्वा ने ग्रामीणों की समस्याएं सुनीं और उनके समाधान का आश्वासन देते हुए सभी को आशीर्वाद प्रदान किया।
यह मेला आपसी एकता, सांस्कृतिक विरासत और आस्था का प्रतीक है।
वहीं ग्रामीणों ने मेले को सफल बनाने के लिए सामूहिक सहयोग दिखाया और इस परंपरा को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया।