न्यूज डेस्क, अमर उजाला, देहरादून
Published by: Nirmala Suyal Nirmala Suyal
Updated Tue, 14 Dec 2021 12:43 PM IST
सार
दून विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में अपनी पढ़ाई करने वाले मूलरूप से रुद्रप्रयाग के अंशुल भट्ट और बिजनेस के छात्र प्रवीण सेमवाल की पहल कई युवाओं के लिए इस वक्त प्रेरणा बनी है।
होम स्टे को बढ़ावा देने के साथ ही कुछ नए कॉटेज का भी निर्माण किया
– फोटो : अमर उजाला
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परंपरागत तरीकों में थोड़ी सी आधुनिकता का इस्तेमाल करने के साथ ही मेहनत की जाए तो गांव में ही पैसा, तरक्की और सुकून मिल सकता है। साथ ही पहाड़ का विकास भी तेजी से होगा। अपनी इसी सोच के साथ दो युवा साथियों ने अपना सफर शुरू किया है। अपनी रचनात्मकता से यह युवा गांव में होम स्टे को बढ़ावा देने के साथ ही अलग-अलग जिलों में युवा संगठनों की चेन बनाकर गांव के युवाओं को गांव में ही रोजगार उपलब्ध कराने के लिए काम कर रहे हैं।
दून विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में अपनी पढ़ाई करने वाले मूलरूप से रुद्रप्रयाग के अंशुल भट्ट और बिजनेस के छात्र प्रवीण सेमवाल की पहल कई युवाओं के लिए इस वक्त प्रेरणा बनी है। दोनों साथियों ने शहर छोड़ गांव की ओर रुख किया। 2019 में दोनों ने गुप्तकाशी में होम स्टे को बढ़ावा देने के साथ ही कुछ नए कॉटेज का भी निर्माण किया। अब गुप्तकाशी के साथ ही उत्तरकाशी में भी युवाओं की यह काम जारी है। अंशुल और प्रवीण का मानना है कि पहाड़ में ही रोजगार के इतने अवसर है, कि यहां के युवाओं को बाहर जाने की जरूरत ही नहीं। उनका उद्देश्य इस चेन का बढ़ाना है।
ग्रामीणों को उत्पात बेचने नहीं जाना पड़ता बाहरग्रामीणों को अपने उत्पाद लेकर अब बाजार की दौड़ नहीं लगानी पड़ती। न ही उत्पादों के खराब होने या दाम सही न मिलने की चिंता रहती है। अंशुल ने बताया कि गांव के किसानों से ही वह अनाज, सब्जियां लेते हैं। अगर वह बाहर से अनाज मंगवाते तो ट्रांसपोर्ट का भाड़ा भी देना पड़ता, लेकिन इससे गांव के किसानों के साथ ही हमारा भी फायदा हो जाता है।
होम स्टे के साथ ही आधुनिक तरीके से बनाए कॉटेज में खानपान का भी पूरा ध्यान रखा गया। अंशुल ने बताया कि यहां आने वाले लोग यहां पारंपरिक खाना पसंद करते हैं। यहां की महिलाओं से बेहतर खाना कौन बना सकता है। इसलिए उन्होंने गांव की ही महिलाओं को खाने की जिम्मेदारी सौंपी है। इससे महिलाओं को रोजगार मिलने के साथ ही लोगों को पहाड़ के पारंपरिक भोजन का स्वाद भी मिल रहा है।
वर्क फ्रॉम होम के साथ आनंद का अनुभव कर रहे युवाकोरोना के कारण शुरू हुए वर्क फ्रॉम होम ने लोगों की जीवनशैली को काफी प्रभावित किया है। खासकर युवा वर्ग को। ऐसे में बड़ी संख्या में युवा वर्ग पहाड़ में वर्क फ्रॉम होम करने के लिए पहुंच रहा है। युवा पहाड़ की खूबसूरत वादियों में सुकून से काम कर रहे हैं। अंशुल ने बताया कि इस समय उनके पास बड़ी संख्या में युवा वर्ग पहुंच रहे हैं। यहां कई दिन गुजार रहे हैं।
खास तरीके से होता है हर पर्यटक का स्वागतअंशुल ने बताया कि उनके यहां पहुंचने वाले हर पर्यटक का स्वागत खास तरीके से होता है। टीका लगाकर उनका स्वागत किया जाता है। गांव की परंपरा और संस्कृति की झलक उन्हें दिखाई जाती है।
विस्तार
परंपरागत तरीकों में थोड़ी सी आधुनिकता का इस्तेमाल करने के साथ ही मेहनत की जाए तो गांव में ही पैसा, तरक्की और सुकून मिल सकता है। साथ ही पहाड़ का विकास भी तेजी से होगा। अपनी इसी सोच के साथ दो युवा साथियों ने अपना सफर शुरू किया है। अपनी रचनात्मकता से यह युवा गांव में होम स्टे को बढ़ावा देने के साथ ही अलग-अलग जिलों में युवा संगठनों की चेन बनाकर गांव के युवाओं को गांव में ही रोजगार उपलब्ध कराने के लिए काम कर रहे हैं।
दून विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में अपनी पढ़ाई करने वाले मूलरूप से रुद्रप्रयाग के अंशुल भट्ट और बिजनेस के छात्र प्रवीण सेमवाल की पहल कई युवाओं के लिए इस वक्त प्रेरणा बनी है। दोनों साथियों ने शहर छोड़ गांव की ओर रुख किया। 2019 में दोनों ने गुप्तकाशी में होम स्टे को बढ़ावा देने के साथ ही कुछ नए कॉटेज का भी निर्माण किया। अब गुप्तकाशी के साथ ही उत्तरकाशी में भी युवाओं की यह काम जारी है। अंशुल और प्रवीण का मानना है कि पहाड़ में ही रोजगार के इतने अवसर है, कि यहां के युवाओं को बाहर जाने की जरूरत ही नहीं। उनका उद्देश्य इस चेन का बढ़ाना है।
ग्रामीणों को उत्पात बेचने नहीं जाना पड़ता बाहर
ग्रामीणों को अपने उत्पाद लेकर अब बाजार की दौड़ नहीं लगानी पड़ती। न ही उत्पादों के खराब होने या दाम सही न मिलने की चिंता रहती है। अंशुल ने बताया कि गांव के किसानों से ही वह अनाज, सब्जियां लेते हैं। अगर वह बाहर से अनाज मंगवाते तो ट्रांसपोर्ट का भाड़ा भी देना पड़ता, लेकिन इससे गांव के किसानों के साथ ही हमारा भी फायदा हो जाता है।