जिला मुख्यालय से महज 3 किलोमीटर की दूरी पर स्यूणा गांव के ग्रामीण जर्जर ट्रॉली से आवागमन करने को मजबूर है।
रिपोर्ट:- सुभाष बडोनी।
ट्रॉली में झूलती जिंदगी क्योंकि गांव का पैदल मार्ग भगीरथी नदी के किनारे होने से क्षतिग्रस्त हो गया जिससे ग्रामीण पिछले 2021 से इस जर्जर ट्रॉली से आवागमन कर रहे हैं।
ग्रामीणों के सामने यहां समस्या बरसात के सीजन में काफी ज्यादा हो जाती है जब गंगा भागीरथी का जलस्तर काफी बढ़ता है। सबसे ज्यादा दिक्कत छोटे-2 स्कूली बच्चों के समक्ष है।
ट्रॉली के रस्से कमजोर होने के कारण अभिभावक अपने बच्चों को डर के कारण स्कूल ही नहीं भेज रहे है क्योंकि अभिभावक डरते हैं कि कहीं कोई दुर्घटना ना हो जाए।
इस ट्रॉली से आवागमन करना खतरे से खाली नहीं है ट्रॉली के रस्से काफी कमजोर हो चुके हैं और जहां पर ट्रॉली लगाई गई है वहां पर जमीन भी धंस गई है।
अब ग्रामीण जिला प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि यहां पर इलेक्ट्रॉनिक्स ट्रॉली लगाई जाए।
वही ग्रामीणों की इस समस्या को लेकर न तो जनप्रतिनिधि गंभीर है और न अधिकारी अगर जर्जर ट्रॉली में कोई बड़ा हादसा हो गया तो कौन जिम्मेदार होगा यह कहना मुश्किल है।
ग्रामीणों का कहना है की समस्या को लेकर क्षेत्र के जनप्रतिनिधि और को भी अवगत करवा चुके हैं लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है।
जनपद मुख्यालय के नजदीकी गांव स्यूणा गाँव का पैदल रास्ता क्षतिग्रस्त होने के कारण ग्रामीण गंगा भागीरथी नदी के ऊपर लगी ट्रॉली से आवागमन करने को मजबूर है।
यह ट्रॉली काफी जर्जर हो चुकी है और इसकी रस्सियां भी काफी कमजोर है जो किसी बड़ी दुर्घटना को न्योता दे रही है।
यहां तक कि गांव के ग्रामीण और स्कूली बच्चे घंटों ट्रॉली के रस्सी खींचते खींचते तब जाकर एक किनारे से दूसरे किनारे पर पहुंच पाते हैं ग्रामीण महिलाओं का कहना है कि सबसे ज्यादा दिक्कतें स्कूल के छोटे-छोटे बच्चे और जब गांव में किसी व्यक्ति की तबीयत खराब होती है या किसी प्रसव पीड़िता महिला को अस्पताल ले जाना होता है तब काफी ज्यादा दिक्कतें आती है। इसलिए ग्रामीण आज जिलाधिकारी से मिले और ग्रामीणों ने जिला प्रशासन को 15 दिन का समय दिया कि यदि यहां पट 15 दिन में इलेक्ट्रॉनिक्स ट्रॉली नहीं लगाई गई तो बड़े आंदोलन की चेतावनी प्रशासन को दी है।
वही इस मामले पर जिलाधिकारी अभिषेक रुहेला का कहना है कि लोक निर्माण विभाग को खराब हुई ट्रॉली की मरम्मत कराने के निर्देश दिए गए हैं और जल्द ही वहां पर ट्रॉली की मरम्मत की जाएगी।
लेकिन सवाल यह है कि ग्रामीणों ने मांग की है कि वहां पर इलेक्ट्रॉनिक ट्रॉली लगाई जाए।