भारत- चीन सीमा में नेलांग व् जादुंग गाँव में 1962 के बाद पर्यटक व् ग्रामीण नेलांग व् जादुंग गाँव की कर पाएंगे सैर।
1962 में भारत चीन सीमा पर उत्तरकाशी जिले में युद्ध हुआ था, जिसमे नेलांग व् जादुंग के ग्रामीणों को अपने गाँव छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा था।
ग्रामीणों को बगोरी व् वीरपुर डुंडा भेजा गया भारतीय सेना द्वारा. 1962 से अभी 2024 में लगभग त्रिसठ वर्ष होने को आया हैं. तब से अब तक नेलांग व् जादुंग गांव भारतीय सेना द्वारा चलाया व् सेना कि गतिविधिया इस गाँव में होती रहती हैं. जो सुरक्षा कि दृष्टि से अत्यधिक महत्व पूर्ण भी हैं.
देश की सीमाओं को दुश्मन से सुरक्षित रखने वाली भारतीय सेना अब सीमा पर बसे प्रथम गांव नेलांग व् जादुंग के विकास में भी योगदान देने जा रही है, इस कड़ी में केंद्र सरकार की वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के नेलांग और जादूंग गांव की पुनर्स्थापना के लिए सेना ने सात योजनाएं तैयार की हैं।
इन योजनाओं को पूरा करने के लिए आपरेशन सद्भावना शुरू किया गया है।
इनके तहत गांवों में मूलभूत सुविधाओं का विकास करने के साथ ही पर्यटन को बढ़ावा दिया जाएगा इससे गांव तो जीवंत होंगे ही पलायन भी थमेगा।
उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से लगभग 124 किमी दूर स्थित नेलांग व् जादुंग घाटी के इन दोनों गांवों को वर्ष 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान सुरक्षा के लिहाज से सेना ने खाली करवाया था।
बताया गया है कि उस समय नेलांग में 36 जबकि जादूंग में 23 से अधिक परिवार थे तब से ये परिवार डूंडा वीरपुर और बगोरी गांव में रह रहे हैं, मगर अब सरकार ने यहां आजीविका संवर्द्धन व पर्यटन विकास की दिशा में कवायत शुरू कर दी है।
जिला प्रशासन के अनुसार पहले चरण में जादूंग गांव में छह होम स्टे बनाने की स्वीकृति मिली है।
इसके बाद 17 और होम स्टे बनाए जाएंगे. इन गांवों में संचार और विद्युत सुविधा का विस्तार भी किया जा रहा है।
इसके साथ ही भैरव घाटी से लेकर जादूंग तक ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने की संभावना भी तलाशी जा रही है.
वहीं नेलांग व् जादुंग के पूर्व निवासियो द्वारा इस पहल का स्वागत किया हैं।
भारतीय सेना व् प्रशासन का आभार प्रकट किया. नेलांग व् जादुंग के ग्रामीण कई वर्षो से अपनी यह मांग प्रशासन से कह रहे थे।
युद्ध खत्म हुए कई वर्ष हो चुके हैं, इन ग्रामीणों को इसने गाँव नेलांग व् जादुंग में रहने कि इजाजत दी जाय।
असल में इन ग्रामीणों के यह कुल देवता रहते हैं. अपने कुल देवता को पूजने के लिए इन्हे हर वर्ष प्रशासन के परमिशन लेके जाना होता हैं।
साथ ही कई वर्षो से इनके खंडर पड़े घर व् खेत भी भंजर पड़े थे।
अब इन्हे इन पर आगे खेती करने का अवसर मिल सकता हैं. वहीं ग्रामीणों का कहना हैं जैसे जादुंग में सेना व् प्रशासन द्वारा कार्य किया जाने वाला हैं. जल्द ही नेलांग में भी कार्य शुरू होना चाहिए।