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ब्रेकिंग:-अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में आयोजित नेत्रदान पखवाड़े का विधिवत समापन।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में आयोजित नेत्रदान पखवाड़े का विधिवत समापन हो गया।

इस अवसर पर एम्स की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर डाॅ. मीनू सिंह ने कहा कि अंग का दान करने से श्रेष्ठ जीवन में कोई दूसरा दान नहीं है।

उन्होंने कहा कि नेत्रदान महादान के संकल्प से ही देश- दुनिया में दृष्टिबाधिता दूर की जा सकती है। एम्स के नेत्र विभाग द्वारा आयोजित नेत्रदान पखवाड़े का समापन गया।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि एम्स की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर डा. मीनू सिंह ने कहा कि जीवन में सबसे बड़ा कार्य नेत्रदान के कार्य से जुड़ना है, इसी कार्य से हम सभी एक दृष्टिहींन व्यक्ति को नेत्रज्योति दे सकते हैं ,जिससे वह सतरंगी दुनिया को देख सके।

उन्होंने कहा कि दृष्टि ईश्वर का महत्वपूर्ण वरदान है। संस्थान की डीन एकेडमिक प्रो. जया चतुर्वेदी ने कहा कि नेत्रदान को महादान का दर्जा प्राप्त है, लोगों में नेत्रदान को लेकर जागरुकता बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि नेत्रहींन लोग दृष्टि के बिना ईश्वर की बनाई हुई रंगबिरंगी दुनिया व रोशनी के मोहताज हो जाते हैं।

चिकित्सा अधीक्षक व नेत्र विभागाध्यक्ष प्रो. संजीव कुमार मित्तल ने दृष्टिहींन लोगों के जीवन की दुश्वारियों से लोगों को रूबरू कराया, उन्होंने कहा कि देश में अंधता को दूर करने के लिए हम सभी को नेत्रदान महादान का संकल्प लेना होगा और एक दूसरे को इस पुनीत कार्य के लिए प्रेरित भी करना होगा।

इस अवसर पर नेत्र बैंक की निदेशक व नेत्र विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डा. नीति गुप्ता ने नेत्रदान का संकल्प लेने वाले लोगों के साथ ही नेत्रदाता परिवारों का भी आभार जताया, जो कि शोक की घड़ी में अपने परिजन का नेत्रदान करने का साहस जुटा पाते हैं।

डा.नीति गुप्ता ने कहा कि नेत्रदान का श्रेय किसी एक व्यक्त को नहीं दिया जा सकता यह पूरी टीम की मेहनत का प्रतिफल होता है।

इस अवसर पर कार्यकारी निदेशक प्रो.मीनू सिंह,डीन प्रो.जया चतुर्वेदी व एमएस प्रो.संजीव मित्तल ने संयुक्तरूप से नेत्रदान करने वाले परिवारजनों को प्रशस्तिपत्र भेंट कर सम्मानित किया। इस दौरान एम्स में जिन नेत्रहींन लोगों को कॉर्निया प्रत्यारोपण के बाद नेत्रज्योति प्राप्त की उन्होंने लोगों के समक्ष अपने अनुभव साझा किए।

एक दस वर्षीय बालिका ने बताया कि एम्स में नेत्र प्रत्यारोपण के बाद वह 10 साल की उम्र में अपने माता पिता की चेहरा देख सकी। इस दौरान एक छह वर्षीय बालक व एक अन्य 94 वर्षीय व्यक्ति ने अपने जीवन के अनुभव सुनाए और प्रत्यारोपण के बाद की स्थितियों को बताया।

समारोह में नेत्रदान प्रेरक रामशरण चावला ( हरिद्वार) व गोपाल नारंग (ऋषिकेश) को भी नेत्रदान जनजागरूकता मुहिम के लिए व नेत्रदान में सहयोग के लिए एम्स के नर्सिंग अधिकारियों, नेत्र बैंक टीम, सुरक्षाकर्मियों व हाउस कीपिंग स्टाफ को प्रशस्तिपत्र भेंट कर सम्मानित किया गया।

डा. सुचित्रा व नेत्र बैंक प्रबंधक महिपाल चौहान के संयुक्त संचालन में आयोजित कार्यक्रम में सीएफएम विभागाध्यक्ष प्रो. वर्तिका सक्सैना, नेत्र विभाग के डा. अजय अग्रवाल, डा. अनुपम,डा. रामानुज सामंता, राज माधवन के अलावा नेत्र विभाग के सीनियर व जूनियर रेजिडेंट्स, डोनर प​रिवार से प्रदीप गुप्ता, अरविंद जैन, अमित वत्स,बृजेश शर्मा, जितेंद्र आनंद, किन्सुख जैन, नितिन जैन आदि मौजूद थे।

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