*पांडव लीला हमारी धार्मिक और संस्कृति की अटूट विरासत और परंपरा है :- राकेश राणा*
पांडव लीला हमारी धार्मिक और सांस्कृति की विरासत है यह बात प्रतापनगर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत पिपलोगी गांव में आयोजित पांडव लीला के सातवें दिन के कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जिला कांग्रेस कमेटी टिहरी गढ़वाल अध्यक्ष राकेश राणा ने कहीं।
उन्होंने कहा देव भूमि उत्तराखंड में विभिन्न जगहों पर पांडवों की स्मृतियां पद चिन्ह और भांति भांति की गाथाएं प्रचलित है पांडव लीला समाज में असत्य पर सत्य की और अधर्म पर धर्म की विजय प्राप्त करने के लिए एक मुख्य मार्ग है कहा की पांडव लीला कृष्ण लीला रामलीला यह सनातन धर्म के बहुत बड़े महाकाव्य हैं जिनहै हम सब को अपने व्यवहारिक जीवन में उतारकर अपने जीवन को सत मार्ग पर ले जाने के लिए महत्वपूर्ण है।
कहा कि द्वापर युग में जब कौरवों से जुए में हारने के बाद पांडवों को वनवास हुआ था तो तब उन्होंने उत्तराखंड के जंगलों में दिन बिताए थे। तब जौनसार क्षेत्र के राजा विराट ने उन्हें अपने राज्य में शरण दी। इसी कारण आज भी यहां के लोग पांडवों की पूजा-अर्चना करते हैं। पांडवों का मध्य हिमालय स्थित केदारनाथ, बूढ़ाकेदार समेत मद्महेश्वर, तुंगनाथ, रुद्रनाथ और कल्पेश्वर गंगोत्री धाम यमुनोत्री धाम और काशी विश्वनाथ की धरती उत्तरकाशी से भी संबंध रहा है।
पांडव नृत्य उत्तराखंड की परंपरा व विरासत के रूप में है। पांडवों का इस क्षेत्र से सीधा संबंध रहा है, जो पुराणों में भी वर्णित है। यहां पांडव नृत्य के साथ महाभारत युद्ध में अपनाई गई युद्ध विधाओं चक्रव्यूह, मकरव्यूह आदि का मंचन विशेष तौर पर किया जाता है। हम सबको अपनी संस्कृति रीति रिवाज परंपरा के संरक्षण के लिए आगे आना चाहिए जिससे आने वाली पीढ़ी को भी इन सब के बारे में जानकारी हो
कार्यक्रम का संचालन करते हुए लमगांव व्यापार मंडल के पूर्व अध्यक्ष केशव सिंह रावत ने सभी अतिथियों का धन्यवाद करते हुए कहा कि इस तरह के कार्यक्रम हमारे संस्कृति रीति रिवाज और परंपरा को और आगे जीवंत रूप दे सकते हैं
कार्यक्रम में विशिष्ट तिथि के रूप में चंद्रभान बगियाल व्यापार मंडल अध्यक्ष युद्धवीर सिंह राणा रोशन रागढ़ पूर्व जिला पंचायत सदस्य उदय रावत पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य खुशहाल सिंह रावत पूर्व प्रधान धनराज प्रधान बृजेश सिंह सहित सैकड़ो की संख्या में माताएं बहने बुजुर्ग नौजवान आदि लोग उपस्थित थे।